मन में लिए कोमल विचारो की माला,
खिला रही हर एक का मन वह बाला,
करती कामना आने वाले मधुर पल की,
बिना जाने रास्तो पर पड़े कांटों के चुभन की,
करती धूमिल आने वाले हर मुश्किलों की शान ,
जीत लेती हर की मुस्कान, जान कर उसके दुःख को पहचान,
देवताओं की प्यारी वह,
अपनों की दुलारी वह
रखती ना कोई कामना किसी से,
फिर भी क्यों है आस उसको उससे?
पंखों की डोली पर उसका दिल
टुटा कई बार गिर कर, जब गयी वो डोली हिल
अकेली बैठी जोड़ रही वो दिल को
इंतज़ार क्यों है उसका उसको?
बढ़ी जा रही है कर्म पथ पे
पूरा कर हर किसी की कामना
बोझिल हुआ मन,हिल गयी उसकी भावना
समझती अकेली वो मन को बढ़ी जा रही कर्म पथ पे
garima
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